कभी वो डरा ही नहीं मुझे खोने से
क्या अफ़सोस करेंगा मेरे ना होने से 💔💔
फर्क तो मुझे पड़ा उसके करीब जाकर
अँधेरे मे गुम हो जाने से
फिर वही खामोश खड़े होकर
खुद को सँभालते हुए
खुद को खुद से आईना दिखाते हुए
अपने हाथो को थामते हुए
अँधेरे मे खुद को सौपते हुए
गुम हो जाने से
अँधेरे मे इसके कदमो के आहटो को एहसास करने से
उसके मोहब्बत को खुद मे पालने से
मुझे फर्क पड़ा उसके जाने से 💔💔
- SARWAT FATMI