वो यादे
लोग दो दिन बात न करें तो रूठ जाते हैं,
हमने उसकी ख़ामोशी को भी दिल में जगह दी है।
कई दिन-रात करते-करते साल निकल गए,
उसकी याद में तो बीस साल गुजर गए।
दोस्तों की मेहरबानी से वो वापस आई है,
आज कितने सालों बाद वो सामने आई है।
मेरे लिए नई उम्मीद बनकर आई है
दिल के वीराने में एक गुलशन बन आई है।
उसके लिए मैंने कई रातों की नींद गंवाई,
हर दर्द सहकर भी मुस्कान सजाई।
कलम के सहारे दिल की बात लिख डाली,
पर उसे तो वो बस एक कहानी ही नज़र आई।
शब्दों में छुपा मेरा दर्द वो समझ न सकी,
अंदर के जज़्बातों को वो पढ़ न सकी।
मेरी कहानियाँ भी कुछ काम न आईं,
न ही वो मेरे टूटे दिल पर मरहम लगाने आई।
कुछ बातें लफ़्ज़ों में बयाँ नहीं होती हैं,
कुछ बातें जुबां पर आती नहीं हैं,
उसकी ख़ामोशी में सब कुछ समा जाता है,
बिना कहे, उसकी हर बात दिल तक पहुंच जाती है।