में तेरी पार्वती बन जाऊ! - 1
तेरी जटाओं में गंगा सी बह जाऊँ,
मैं तेरी पार्वती बन जाऊँ।
तेरे त्रिनेत्र की ज्वाला में तप कर,
मैं भस्म की राख में रम जाऊँ।
तेरे डमरू की ध्वनि में खोकर,
मैं तांडव का नृत्य कर जाऊँ।
तेरे कंठ के विष को पीकर,
मैं नीलकंठ सी ठहर जाऊँ।
तेरे कैलाश की शीतल हवा में,
मैं प्रेम का गीत गुनगुनाऊँ।
तेरे ध्यान में लीन होकर,
मैं शिवमय हो जाऊँ।
तेरे त्रिशूल की शक्ति बनकर,
मैं हर बुराई से लड़ जाऊँ।
तेरे अर्धांगिनी बनकर,
मैं जीवन को पूर्ण बनाऊँ।
तेरी भक्ति में डूबकर,
मैं मोक्ष को पा जाऊँ।
मैं तेरी पार्वती बन जाऊँ,