हर शाम गुजारी है तुम बिन
दिन भी थककर कट जाता है
तुम मेरे हो पर मेरे नही
पर फिर भी तुमको चाहा है।
तेरी रातों मेें सुकूँ जहा
मेरी रातों मेें सन्नाटा है
तुम दूर हो मुझसे बहुत मगर
मैनें तुमको खामोशी से बांधा है।।
तुम मेरे नही पर मेरे हो
तुम बिन न इक पल गुजारा है
तू औरों के रातों का चाँद सही
तू मेरी जीवन रेखा है।
तुमसे उलझी है सांसे मेरी
छोड़ो तो आजाद मैं हो जाऊँ
तुम सदा यूं ही मुस्काना
मैं रोते-रोते सो जाऊं ।।
मीरा सिंह