अंतिम दिन साल का
देखते देखते साल बीत गये बस अब
रह गये हैं चंद घंटे शेष। कितने उतार चढ़ाव
आए जीवन में बस चलते रहें हम मंजिल के
लिए। आने वाला है शुभ नव वर्ष तो मंजिल
हमारी यही है फिलहाल। कोई घर में कोई
बाहर में पार्टी शारटी करे सकल जहान।
चाहे वो गरीब हो या फिर अमीर ना चिंता
रहती भविष्य की। बस बंधु सखा परिवार संग
खाते पीते मौज मस्ती करते दिन बिताते हैं
आज । रहता इंतजार घड़ी की सुई पर बारह
बजने की। सच पूछिए तो बड़ा बेहतरीन और
शानदार होता है उमंग और उत्साह से भरा हुआ साल का अंतिम दिन। चाह रहती है कि
किस तरह किस जगह पर मनाएं खुशहाली
कि रहें प्रेम मुदित मन मग्न आनंदमय और
हो शुभ शुभ मंगलमय नव वर्ष का दिन।
होता रहता है फूलों की बारिश बजते रहते हैं
सजा रहता है गीत संगीत का संसार।
हम कह सकते हैं काटे नहीं कटते हैं साल का
अंतिम दिन मन में छाए रहते हैं बादलों की
बौछार।
कहते कहते रटते रटते सब मिलकर जपते
हैं नव वर्ष मंगलमय वेला का गीत मल्हार।
गाते शुभकामनाएं एवं बधाइयां सब मिलकर बजावें करताल बारंबार।
अंतिम दिन साल का हुआ शेष ना रहा अब अवशेष। धूमिल हुई छबि अंतिम दिन साल की
बज गया बाजा । नूतन वर्ष के शुभारंभ पर
अभिवादन , नमन , अभिनन्दन , प्रणाम एवं
आशीर्वाद का सिलसिला जारी रहा रात दिन
लोग खुशियां मनाएं खाएं हलवा खीर पूरी
सात व्यंजन और मेवा मिष्टान्न खाजा।
अंतिम दिन का हो गया था अवसान दोस्तों।
नवल प्रभात का हुआ आगमन उदित नारायण
का मिला उपहार बन कर सौगात दिनमान।
- Anita Sinha