प्रकृति से ही है संसार,
प्रकृति से ही है नई बहार,
पर लोग भूल मातृभूमि को,
जाते हैं देश से बाहर,
प्रकृति से ही है...........
प्रकृति के बिना कैसा संसार,
सब सूना सूना लगता है,
जब ना आए प्रकृति की बहार,
प्रकृति को देख खिलता है,
बच्चों का संसार,
प्रकृति से ही है..........
प्रकृति के रंग निराले हैं,
कहीं धूप, कहीं छाया और कहीं आसमान काले हैं,
इतना सब कुछ मानव को देने के लिए,
करता हूं मैं उस परमात्मा का सत्कार ,
प्रकृति से ही है.......