आखिर तूने किया ही क्या
जब से जन्मा कुछ किया क्या,
जो हुआ बड़ा तो जिद्दी सा
तुझे जिद में कुछ मिला क्या...
आई जवानी तो रक्त गर्म हुआ
पर क्या तू जिम्मेदार हुआ..
उम्र बस बढ़ रही है,
हर साल जिंदगी घट रही है
पर इस चलती गाड़ी में
तूने अपना किराया दिया क्या ..
हर रोज सुबह उठकर
करता शाम का इंतजार
जो आई शाम तो लाई अक्ल
पर इस पछतावे का बोध किया क्या
दिन भर कशमकश सी
बीता के सांस - ए - जिंदगी
रात में चैन से सोया क्या.....
--shitiz/क्षितिज