The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
मेरी तरफ से ईद मुबारक हो
शुभ नव संवत्सर एवं चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ भारतीय नववर्ष का आगमन आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लेकर आए। इसी के साथ शक्ति उपासना का महापर्व चैत्र नवरात्रि भी प्रारंभ हो रहा है। माँ भगवती की कृपा से आपके घर-परिवार में प्रेम, सौहार्द और सफलता का वास हो। - इशरत हिदायत ख़ान
आप सबको रंगोत्सव पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएं आपके जीवन में हर्षोल्लास एवं आनंद के रंग सदैव घुले रहें। ऐसी कामना है। - इशरत हिदायत ख़ान
किताबें मेरा पहला इश्क़ हैं। जाने क्यों, किस लिए मुझे पुस्तकों से इतना शदीद लगाव हो गया। मैं ने जब अपने पढ़ने के रोग की पड़ताल की तो पाया कि पुस्तकों के प्रति मेरे सघन प्रेम के पीछे कहानी या अफसाने से दिलचस्पी होना है। मुझे बचपन से ही कहानियाँ सुनने का, न केवल सुनने का बल्कि सुनी हुई कहानियाँ कहने का भी शौक था। बचपन में तो मैं यही समझता था कि कहानी लिखने- पढ़ने की नही, कहने और सुनने की कला है। शायद रोचक अंदाज में और बयान के खास सलीके की वजह से कोई कदीम दास्तान या नया किस्सा कहने की कला के चलते ही कहानी कहलाया होगा। किस्सा कहने वाले कुछ इस ढंग से कहते हैं कि सुनने वालों की दिलचस्पी और आगे की दास्तान जानने की जिज्ञासा और उत्सुकता बनी रहती है। यही एक सफल किस्सागो होने की ख़ूबी है। किस्सागो अपनी बात को ज्यादा रोचक सरस और प्रभावपूर्ण बनाने के लिए बीच- बीच में दोहा, गीत और सोरठा को भी मौजू के हिसाब से शामिल करते हैं। मैंने बचपन में अपनी दादी, बुआ और अम्मा से बहुत सी कहानियाँ सुनी थीं लेकिन उनके कहानी कहने के ढंग में वह बात न थी, जो एक कामयाब किस्सागो में होना चाहिए। मेरा घर ठीक वैसा ही था, जैसा एक किसान के घर को होना चाहिए। घर बहुत बड़ा था, जो दो भागों में बंटा हुआ था। भीतर के भाग में एक बड़ी सी कच्ची कोठरी, उसके सामने कच्चा दालान था, जिसे सिदरी कहते थे। कोठरी में कोई पलंग, चारपाई या तख़्त कभी नही पड़ता था। उस कोठरी में गेंहूँ, धान और चना रखने की बड़ी- बड़ी कुठियां, राब की कलसियां, सरसों की मझोल कुठियां और दालों के मटके रखे रहते थे। कुछ बड़े मटके भी रहते थे, जिनमें ज़्वार,बाजरा और तिल्ली भरी रहती थी। यह सब अनाज़ हमारे अपने खेतों की उपज थे, जो वर्ष भर उपयोग के लिए पर्याप्त थे। अँधेरी कोठरी इस लिए कह रहा हूँ क्योंकि उस कोठरी में कोई रोशनदान, खिड़की नही थी। रोशनी के नाम पर एक दीवार में ठीक छत से कोई फिट भर नीचे दस इंच व्यास का बियाला था। इस कोठरी के अतिरिक्त तीन कोठरियां दक्षिण की ओर थीं, जिनके सामने खस के छप्पर पड़े थे।यह कोठरियां पक्की ईंटों की थीं। दीवारों में अलमारियाँ भी थीं। इनकी छतें तो कच्ची थीं,पर दीवारों पर चूने से पुताई की हुई थी। हम लोग इन्हें कोठरी न कह कर कमरे ही कहा करते थे। इन्हीं कमरों में रिहायश रहती थी। खाना बनाने के लिए अँधेरी कोठरी के सामने वाले दालान का उपयोग होता था। दक्षिण के एक कमरे में दादा-दादी, दूसरे में चाचा- चाची और तीसरे में बड़े भैया रहते थे। हम छोटे तीन भाई और दो बहनें अँधेरी कोठरी के सामने वाले दालान में सोते थे।अब आप समझ सकते हैं कि ऐसे घर में किताब का सवाल अपने आप में ही सवाल है। पर घर में किताबें नही थीं? ऐसा नहीं था। हमारे घर में शमा, हुदा पत्रिकाएं आती थीं। भैया के स्कूल की किताबों से अलमारियाँ भरी थीं।
कोई दस्तक दे रहा है, दरवाज़े पर। कितना निराशा जनक है यह- कि तुम नही! नया साल आया है। दुन्या मिखाइल ( इराक)
जिस तरह लोग खसारे में बहुत सोचते हैं आजकल हम तेरे बारे में बहुत सोचते हैं। - तहज़ीब हाफ़ी
सब को मैं ही समझूं यार। कोई मुझे भी तो समझे! - इशरत हिदायत ख़ान
दुनिया में अक्सर ऐसे मर्द मिलेंगे जो शादीशुदा तो हैं, मगर तन्हाई की ज़िन्दगी गुज़ारने पर मजबूर हैं। -ज़हूर बख़्श
मन- पसन्द व्यक्ति हर रोग की मधु औषधि होता है! - इशरत हिदायत ख़ान
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं - इशरत हिदायत ख़ान
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser