अफवाह
वाह रे वाह अफवाह,
तू भी बड़ी खूब है।
सभी की संवेदनाओं को,
तार तार कर कुचल देती।
कभी नही चुनी थी मैंने,
महसूस नही कर सका कभी,
तेरे लौटकर आने की बाते,
कही यह अफवाह तो नही।
तू जा चुकी है उस पार,
ओर में रह गया इस पार,
ना में तुझमें, ना तू मुझमें बह रही,
यही भी क्या खूब अफवाह है।
सब कुछ चुना चुना सा लगता है,
तेरी मेरी बाते कहानी सी लगती है,
मेरा मर जाना और तेरा जिंदा रहना,
यह भी एक अफवाह का अफसाना है।
चल तू आएगी,दिल ने भी माना,
आकर जायेगी, यह जख्म भी पाला,
बातो में, मैं तेरा तू मेरी लगे ,
क्या ये भी कोई अफवाह निकलेगी।
अब छोड़ो भी अफवाहों को,
तू साथ हो वोही रिस्क पाली है,
चलेंगे साथ साथ हर कदम पर,
अब यही अफवाह फैल जाने दो।
भरत (राज)