कहाँ सुरक्षित है नारी
तुम कहो अब क्या कहते हो।
ममता से सींचा जिसने तुमको
तुम उसी की अस्मिता लूटते हो।।
माँ के आँचल में बड़े हुए
आँचल को मार गिराते हो।
अब कहाँ सुरक्षित है नारी
तुम कहो अब क्या कहते हो।।
निर्ममता से जिसके अरमानों को कुचलने हो
तुम नर हो या दानव स्वरूप
जो निर्मम हत्या करते हो।।
क्यों शान्त खड़ी हो तुम नारी
तुम शक्ति का अवतार हो।
नही आएंगे कृष्ण कोई
स्त्री की लाज बचाने को।।
कहाँ सुरक्षित है नारी
तुम कहो अब क्या कहते है।
चहुंओर है गुमनामी
हर ओर अंधेरा छाया है।
तुम कहो शान्त क्यों बैठे हो
मुजरिम बन वर्दीधारी आया है।।
नही कोई कानून यहाँ
न संविधान के नियम है।
कहाँ सुरक्षित है नारी
तुम कहो अब क्या कहते हो।।
कोलकता हत्याकांड को समर्पित भावभीनी श्रद्धांजली