गान करो आज़ादी का
अभिमान करो खादी का
याद रखों बलिदानी को
सिंचा है जिसने आज़ादी को।
यह धरती है अमर कहानी का
संत ॠषी महापुरुषों और बलिदानियों का
जीवन जय का हीं राग है
गृहस्थ में भी यहाँ अद्भुत वैराग्य है।
उठो और स्वाभिमान का हुंकार करो
अपने जीवन का तुम जय जयकार करो
पावन धरा भारत भू के हम संतान है
त्याग धर्म सत्य की जहाँ जय जयकार है।
अमृत काल में त्यागे विष अपना हम
समभाव सदभाव का अनुष्ठान करे हम
एकता अखंडता का परिचायक बन हम
अखिल विश्व के सारथी बने हम।
-Anant Dhish Aman