जिद है तुझे पाने की , ,,,
इश्क है इतना,,, की हद से गुजर जाने की
तुझे बाहों में ले,,,,,,,,,खुद को भूल जाने की
अब तू इस कदर मेरा नशा बन गया है ,,,
की जिद है तुझे पा ,,,,,,इस नशे को भूल जाने की ,
तुम मलहम सा बनता जा रहा है ,,,,,मेरे उस जख्मी दिल का,,,,,
जिसकी जिद है मुझे ,,,,,तुझे अपने करीब ला ,,,, उस मलहम से,अपने दिल को,,,सुकून पहुंचाने की,,
,
कि तू कब मेरे,,दिल के,,,इतने करीब आ गया ,,,
कि मैं तुझे,,,अपना बनाने की,जिद में ,,,, पूरी दुनिया भुला बैठी
तू मेरी सांसे बनती गई ,,, उन बदलते लम्हो के साथ,,
और मेरी जिद बढ़ती गई,,,उन सांसों को पाने की
इसीलिए जीद है तुझे पाने की,,,,
, इन सांसों में बसा, खुद को भूल जाने की