short moral story
एक बार की बात है, एक रूसी वैज्ञानिक जिसका नाम डॉ. सर्गेई था, अपने प्रयोगशाला में एक खास प्रयोग कर रहा था। वह एक ऐसा फार्मूला बना रहा था जिससे किसी भी चीज़ को बहुत तेजी से बढ़ाया जा सके।
एक दिन, सर्गेई ने अपने फार्मूला का परीक्षण करने का फैसला किया। उसने एक छोटे से पौधे पर फार्मूला का छिड़काव किया और इंतजार करने लगा। थोड़ी ही देर में पौधा तेजी से बढ़ने लगा और देखते ही देखते वह पूरे कमरे में फैल गया। सर्गेई खुशी से झूम उठा और उसने सोचा कि उसने कुछ बड़ा आविष्कार कर लिया है।
लेकिन तभी उसकी बिल्ला, मुरका, जो अक्सर प्रयोगशाला में घूमा करती थी, अचानक उस पौधे के पास आ गई और उसने भी उस पर छिड़का हुआ फार्मूला चाट लिया। इससे पहले कि सर्गेई कुछ समझ पाता, मुरका तेजी से बढ़ने लगी। कुछ ही मिनटों में मुरका एक विशालकाय बिल्ली बन गई और पूरे प्रयोगशाला में दौड़ने लगी।
सर्गेई ने कभी इतनी बड़ी बिल्ली नहीं देखी थी और वह घबरा गया। मुरका हर चीज़ को उलट-पलट कर रही थी और सारा सामान बिखेर रही थी। सर्गेई को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। तभी उसने एक उपाय सोचा। उसने वही फार्मूला लेकर एक दूसरी बोतल में डालकर मुरका के ऊपर छिड़क दिया, जिससे उसकी बढ़ने की प्रक्रिया रुक गई।
अब सर्गेई को यह समझ में आ गया कि उसके फार्मूला को नियंत्रित करने की भी जरूरत है। उसने मुरका को देखते हुए कहा, "अब मैं तुम्हें फिर से सामान्य आकार में लाऊंगा, मेरी प्यारी मुरका!"
इस घटना के बाद, सर्गेई ने अपने फार्मूला में बदलाव किया और उसे और भी बेहतर बनाया। लेकिन अब वह हर बार प्रयोग करने से पहले अपनी प्यारी मुरका को बाहर भेज देता था, ताकि फिर कभी ऐसी अजीब स्थिति न बने।
इस मजेदार घटना के बाद, सर्गेई और मुरका की दोस्ती और भी गहरी हो गई, और सर्गेई को अपनी गलती से बहुत कुछ सीखने को मिला।
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