कहते हैं
दिल टूटना आपको, अपने आप से
ज़्यादा प्यार करना सिखा जाता है।
तो फ़िर मेरे साथ ऐसा क्यूं नहीं हो रहा?
क्यूं मेरा दिल रूपी दिमाग बस रो रहा?
दास्तान-ए-दर्द भी तब बदल गई
जब दर्द की हर हद से ये जान गुज़र गई।
रहे जब तलक दर्द के आगोश में,
तब तलक आंसुओं की लड़ी लगी रही,
हुए जो आज़ाद दर्द की सोच से;
किस्सों में दर्द की अलग ही निशानी उभर गई।