वज़ूद.... POEM..BY lotus 🪷
,पाबंदियो से हट कर वजूद मेरा
मुझे बंदिशे भाती नही है
अगर उडने का हौसला बना लिया मेने
कीसी की कोई चाल टीक नही पाती है
चालबाजी कर सको तो कर लेना
कसर बाकी हो तो उसको भी पुरी कर लेना
वाकिफ नही हो अभी मैरी साख से
तुमने अंधैरो मे भी तीर चलाये होगे
अभी तुम्हारा सामना नही मुझसे
ना जाने कितने तुम जैसे मैरे तुफान मे समाये होगे
खुद की कहानी का कलाकार हू
किसी और की कहानी का किस्सा नही
जो है मेरा वजूद है मुझ मे
आज हू मे कल का कीसी का किस्सा नही
आजाद परिंदा हू अपने आसमान का
कीसी की डोर से बंधा पतंग का माझां नही
गुलामी खुद की करता हू मे आज भी
कीसी के इशारे पर चलू मे वो बंदा नही
काम करता हू मे अपनी मर्जी से
कीसी की मर्जी से बंधा नही
तुम्हारी हर कोशिश नाकाम कर दूंगा
तुम्हारे हर मनसुबे को सरेआम कर दूंगा
अगर बात मेरे मनसुबे पर आई अगर तो फीर
तुम्हारी सख्सियत की नुमाईश कर दूंगा
लहजा सिखते थे हम कभी
सवाल खुद पर ऊठा तो सब भुल गये
हमे बताते रहते है जो औकात
सवाल वजूद पर उठा तो औकात अपनी भुल गये