यूँ ही किसी दिन पलकों पर
ख़्वाबों का बसेरा होगा...
फिर किसी रात यही ख़्वाब
बरसने लगेंगे आँखों से...
कुछ खिले-खिले फूल यादों के
दिल की बगियाँ में मुस्काएंगे...
कुछ मुरझाकर झड़ जाएंगे
शायद...कुछ हद तक..
क्यूँ कि हर दिन, हर पल
बदलता रहता हैं वक़्त....
तो वक़्त को रोकने वाले
आखिर हम कौन होते हैं..?
हमें तो चलते जाना है..
बस चलते जाना है...!
-️️️️️Sonali Pankaj️️️