मन्नत...
कोई मिली जरूर लेकिन मिली ही नही,
वोह एक मन्नत सी थी जो अधूरी रही,
धागा भी मेरे कलाई पे उसीका था,
की मेरी ही नझर उसको लगे नही,
वोह एक मन्नत सी थी जो अधूरी ही रही,
में ढूंढता था उसको उजालों के शहर में
लेकिन थी वोह चांद सी जो दिखी ही नही,
वोह एक मन्नत सी थी जो अधूरी ही रही,
लोगो की चाहत हमेशा सफेद सी थी,
लेकिन मेरी हसरत हमेशा सावली रही,
वोह एक मन्नत सी थी जो अधूरी ही रही,
-Pradeep H.Dangar