तर्ज,मेरा नाम है चमेली
“ ससुराल में…..”
“जैसे बड़ पीपल की छाया, वैसे सास ससुर की माया, माया जोड़नी पड़ेगी ससुराल में।माया जोड़नी पड़ेगी ससुराल में।
जैसे पानी कुए का ठंडा,वैसे सासु जी का डंडा।४। डंडा झेलना पड़ेगा ससुराल में।🌺🌺🌺🌺जैसे बड़ पीपल की छाया, वैसे सास ससुर की माया, माया जोड़नी पड़ेगी ससुराल में।
जैसे साड़ी का है बॉर्डर,वैसे जेठ जी का आर्डर। ४।ऑर्डर झेलना पड़ेगा ससुराल में।🌺🌺🌺जैसे बड़ पीपल की छाया, वैसे सास ससुर की माया, माया जोड़नी पड़ेगी ससुराल में।
जैसे चाबीयों का गुच्छा, वैसे देवर का है गुस्सा।४। गुस्सा झेलना पड़ेगा ससुराल में।🌺🌺🌺जैसे बड़ पीपल की छाया, वैसे सास ससुर की माया, माया जोड़नी पड़ेगी ससुराल में।
जैसे सावन का घेवर, वैसे ननदी का तेवर।४। तेवर झेलना पड़ेगा ससुराल में।🌺🌺🌺🌺जैसे बड़ पीपल की छाया, वैसे सास ससुर की माया, माया जोड़नी पड़ेगी ससुराल में।
जैसे बरखा की धार,वैसे बलमा जी का प्यार।४।प्यार मिलेगा रे लाडो ससुराल में।🌺🌺🌺🌺जैसे बड़ पीपल की छाया, वैसे सास ससुर की माया, माया जोड़नी पड़ेगी ससुराल में।”
🙏🏻