क्यूँ ये दिल ज़ोरों से धड़कता है
तेरे क़रीब आ कर
क्यूँ ये मन इतना खुश हो जाता है
तेरा साथ पा कर
तेरे क़रीब आने की उम्मीद में,
ये आँखें ना जाने कितने सारे ख़्वाब बुन रही थी
तेरे क़रीब आने की उम्मीद में,
ये ख़ामोश लफ़्ज़ कब से सिर्फ़ तुम्हें ही सुन रही थी
उन जुगनुओं की तरह,
मैं भी चमक उठती हूँ तेरे क़रीब आ कर
उन फूलों की तरह,
मैं भी संवर जाती हूँ तुझे अपने क़रीब पा कर
तेरे क़रीब आ कर मैंने जाना कि,
हमारे बीच ये फ़ासले कितनी ज़रूरी थी
तेरे क़रीब आ कर मैंने जाना कि,
तेरे बिना मैं अब तक कितनी अधूरी थी