पहले दिन था वो एक सपने सा
धीरे-धीरे बनने लगा वो अपना सा
रातें बढ़ी, बातें बढ़ी, मुलाक़ातें बढ़ी
और बढ़ा हमारे बीच का वो प्यारा सा रिश्ता
पास हुए हम और दूर हुए सारे ग़म
सब कुछ भूल कर, खो गए हम एक दूसरे के बातों में
बारिश के वो मौसम में, भीगे हम एक दूसरे के बाहों में
उसकी बातों में ख़ुद को खोने लगी मैं
उसके नज़रों से ज़िंदगी को जीने लगी मैं
पास हुए हम और दूर हुए सारे ग़म
फिर बार-बार मिलने लगे हम, उसके बिना हर पल जाता था थम
एक दिन वो कह गया सनम, चाहिए मुझे तेरा साथ मरते दम
चले जाएँगे इस दुनिया से कहीं दूर हम
बसायेंगे ख़ुद का एक प्यार सा आशियाँ हम
पास हुए हम और दूर हुए सारे ग़म
फिर जैसे एक तूफ़ान सा आया
मंडराने लगा उस पर किसी और का साया
मुझे छोड़ उसने किसी और का साथ अपनाया
उसे लगने लगी वो उसकी माया
छोड़ मुझे उसने मेरे दिल को दुखाया
पास हो रहे थे ग़म और दूर हो रहे थे हम
उसने मुझे अकेला छोड़ा, मेरे दिल ने भी मुझे रुलाया
आंसू आए, दर्द लाए, पर किसी ने उसे ना लाया
रहने लगी गुमसुम और पलट गई सारी काया
चार दिन की चाँदनी के बाद, अब जीवन में काली रात का है साया
दूर हुए हम और रह गया तन्हाई का सितम