त्योहारों तुम आते रहना
त्योहारों तुम आते रहना...
तुम्हारे आने से हर चेहरा खिल उठता है,
घर का हर कोना दीपक से और शहर रोशनी से जगमगा उठता है,
हर घर का आंगन रंगोली से खिल उठता है,
हर रसोई मिठाईयों की महक से महक उठती है,
हर घर का मन्दिर मन्त्रों के उच्चारण से ऊर्जावान हों उठता है,
हर घर बुजुर्गो के आशिर्वाद से और सम्पन्न हो जाता है,
हर घर बच्चों की शरारतों से भर जाता है।
त्योहारों तुम आते रहना...
इसी बहाने कुछ अपने, कुछे बेगाने मिलेंगे, कुछ रिश्ते ,कुछ दोस्त कुछ अच्छे पल फिर से जी उठेंगे,
क्या पता कोई भूला बिसरा रिश्ता कुछ यादें फिर से जी उठे और हंसी से हर फिजा महक उठे।
त्योहारों तुम आते रहना।
Rekha Abbott ©