चाय का प्याला
दिन उदित हुआ मन मुदित हुआ , जब मिला चाय का प्याला
आलस संग भागी सुस्ती , मन मोर हुआ मतवाला
बिखरे मनके करे एक , बन जाए सुंदर माला
अदभुत सा यह करे काम , फिर वही चाय का प्याला
नयी योजना हो या कोई , विचार हो दिलवाला
इनका उत्तर मिले तभी , जब दिखे चाय का प्याला
देशी हो या विदेशी मुद्दा , या लगे सोच में ताला
जित देखो उत चाय पे चर्चा , फिर वही चाय का प्याला
सब का मेल कराए जग में , ज्यों करे प्रेम की हाला
हर उलझन को सुलझाती , बनकर कुंजी और ताला
एकदूजे के कब बनते , पहनते कब वरमाला
गर ना होती चाय पे चर्चा , ना होता चाय का प्याला
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