कौन अपना हुआ है इस ज़माने की दौड़ में
मौत मंज़िल होती है परवाने की दौड़ में
यहाँ घूम रहे है भेड़िये इंसान-ए-लिबास में
हम लगे हुए है दिया जलाने की दौड़ में
आलिम बैठ गए है चुप करके अपने घरों में
जाहिल लगे हुए है बात मनवाने की दौड़ में
कुछ पिलाना चाहते हो अमृत पिलायो सबको
लग ना जाना कहीं ज़हर पिलाने की दौड़ में
हम तो "विशाल" सीधा दिल ही चुराते है
हम नहीं लगे कभी नज़र चुराने की दौड़ में
"विशाल"