ये पूनम का पूरा चांद
तेरे शहर से भी तो पूरा ही दिखता होगा ना
जैसे मैं रुक जाती हूं इसे देख
तू भी एक पल को कहीं ठहर जाता होगा ना
ये चांद कोई भेद भाव नहीं करता
जितना मेरे पास है उतना ही तुम्हारे पास भी है
वो एक हूक जो मेरे दिल में उठती है
कहीं एक धुआं तेरे ज़हन में भी उठता होगा ना
-अनुभूति अनिता पाठक