मुझसे पहेली सी मोहोब्बत मेरे महेबूब ना मांग
मेने तो समझा था तु है नज़ाकत-ए-हया,तेरा ग़म है
तों गम-ए दहर का झगड़ा क्या है
तेरी सुरत से है आलम-ए-बहारो का‌ समा
तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है!
..............?😌❤️❤️❤️

Gujarati Poem by Hetal : 111819212

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