धूप और छांव का सम्मिश्रण है ज़िन्दगी,
सुख और दुख का एहसास है ज़िन्दगी।
क्या दिन थे जब नंगें पांव दौड़ मेडल लाते
अब एक कदम चलना भी हमें नहीं सुहाते।
ज़िन्दगी की डगर में धूप- छांव आते ही रहेंगे,
हौसले बुलंद हों तो राह आसान हो जायेंगे ।
नफ़रत को नफ़रत से हराया नहीं जा सकता,
पर मोहब्बत के प्रयास से जीता जा सकता ।
धूप की तपिश भी ज़रूरी, छांव भी ज़रूरी
प्रकृति ने जो दिए, ज़िन्दगी में सभी है ज़रूरी।
आज़ को भोगों कल को सींचो, कल के लिए
प्रकृति के साथ चलो, संचित करो कल के लिए।