Hindi Quote in Story by Kunal Saxena

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एकस्मिन् अरण्ये कश्चिद् सिंहः बसति स्म। एकदा तेन उद्घोषितः यत् एकैक कृत्वा अहं सर्वान् पशून् खादितास्मि। अथ शशकं सिंहस्य भोजनं भवितव्यस्य कालः आगतः। शशकेन मार्गे एकः कूपः दृष्टः। तम् कूपं दृष्टवा शशकं एका युक्तिः चिन्तितवान् अतः किञ्चित् कालान्तरं शशकः सिंहस्य गुहा आगतवान्।
सिंह: अवदत्- एतावती चिरात् किमर्थं आगतवान्।
शशकः अवदत्- महोदय! अहम् अपरः सिंहः दृष्टवान्। येन केन प्रकरेण अहं स्वकीय प्राणं तव कृते रक्षित्वा आगतवान्।
सिंहेन अपरः सिंहस्य अधिकृत्य ज्ञात्वा कुद्धः जातः।
सिंहः अवदत्- सः सिहः कुत्रः अस्ति?
शशकः सिंहं कुपस्य समीपे आनीतवान्।
सिंहेन स्वीकीयस्य प्रतिबिंबं कुपे दृष्टः ततः कुपे कुर्दित्वा दिवङ्गतः जातः।
अर्थः- एक जंगल मे कोई शेर रहता था। एक बार उसने घोषणा की मैं एक एक करकर सभी पशुओ को खाऊँगा। अब खरगोश को सिह का भोजन होने का समय आया। खरगोश ने मार्ग में एक कुआ देखा। इस कुए को देखकर उसे एक युक्ति सोची। इसलिये कुछ समय के बाद वह सिंह की गुफा में आया।
शेर बोला- इतनी देरी से क्यो आये।
खरगोश बोला- महोदय मैंने दूसरा शेर देखा। जैसे तैसे मैं अपने प्राण को तुम्हारे लिये रक्षित कर आया।
सिहः दूसरे सिह के बारे में जानकर क्रोधित हुआ।
शेर बोला- वह सिंह कहां है?
खरगोश शेर को कुए के पास लाया।
शेर ने स्वयं के प्रतिबिम्ब को कुए में देखा फिर कुए में कूदकर दिवङ्गत हुआ।

Hindi Story by Kunal Saxena : 111772396
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