हाइकु_मालिका
सिलती थी मां,
करके नाप-जोख,
मेरे कपड़े।
तन्मयता से,
उकेर कर फूल,
सजाती फ्रॉक।
कभी ट्यूनिक,
तो कभी स्कर्ट टॉप,
कारीगर मां।
सब पूछते,
कहाँ से बनवाए,
किसने सिले?
मां ने बनाए,
प्यार का अभिमान,
छलक आता।
बरसों हुए,
वो सुंदर कपड़े,
नहीं मिलते।
डिज़ाइनर,
न हो मां, जानती है,
सजाना मुझे।
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