कठीन काल
अभी अभी तो शहनाई देती थी सुनाई और अब यह वहीं से आती रुलाई?
अभी अभी तो जा रही थी वरयात्रा और अब उस पथ पर अंतिमयात्रा?
अभी अभी गूंज रहे थे सौहाग गीत और अब यह विदारक शोक गीत?
अभी अभी तो हो रहा था जन्मोत्सव और अब यह आ रहा मातम का रव?
अभी अभी आँगन से हुई कन्या विदाई और अब उसी आँगन से ली जग विदाई?
अभी अभी तो कह रहे शुभ घड़ी आई और अब कह रहे हो कठीन काल है भाई?
अभी अभी तो कह रहे थे "गले मिलो भाई।" और अब कह रहे हो "दूर रहने में है भलाई?"
अभी अभी तरक्की की कर रहे थे बड़ाई और अब काम न आई आपकी एक भी दवाई।
अभी अभी इनसानियत की दे रहे थे दुहाई और अब 'अनीस' हो रही है इसकी खराई।