रेत की तरह
बोले गये मेरे शब्द
वायु मंडल में फैले पड़े है
या धरा पर गिरे मिलेंगे
कानो में गूंज रहें होंगे
या स्मृति में संग्रहित मिलेंगे
कण कण में विभाजित होंगे
या ढेर से कहीं पड़े मिलेंगे
प्रेम ,सद्गुण,सरल भाव के होंगे
या ईर्ष्या ,अहम् से जले मिलेंगे
इनका अस्तित्व मेरे बाद भी होगा
या तेरे शब्दों के साथ मिलेंगे
#yogitajain ✍🏻