सभी से प्रेम करना चाहिए
सुनने में अच्छा लगता हैं
परन्तु सभी से प्रेम सम्भव है क्या?
मेरा मानना है...." नहीं" ...
सभी से "मैत्री" हो सकती है
परन्तु प्रेम नहीं
प्रेम एक से ही होता है ...
जैसा मीरा का श्याम के लिए था
प्रेम सदा एकाकी ही होता है
प्रेम ईर्ष्या या क्रोध नहीं सिखाता
जिसके लिए है वहां समर्पित हो जाता है
प्रेम स्वयं स्त्री या पुरुष नहीं
फिर दोनों के लिए अलग मर्यादा में कैसे रहता है
पुरुष का प्रेम अधिकार से जताया जाता है
वही स्त्री का प्रेम सब की ख़ुशी में खुश नजर आता हैं
पुरुष सारी उम्र कान्हा बन सकता है
तो स्त्री सिर्फ सीता ही होनी चाहिए
जग तो तारने वाले, राधा को ना अपना सके
फिर इस निर्बल समाज से कैसा द्वंद्व
#yogitajain