सफर मे मिलना किसीका, अचानक याद आया।
खुद को थोड़ासा तराशना, अचानक याद आया।
निशानात अपने हर कोई रख जाता है यहां वहां,
नजरअंदाज का वो किस्सा, अचानक याद आया।
तकाजा तो है वक़्त का यकीनन इस जहां में!
मंजिल पे मुकर जाना, अचानक याद आया।
बहाने बनाके बहोत बाते कर लेते थे रोज,
सुकून से बिछड़ना ,अचानक याद आया।
लहरों के सहारे कश्तियो को छोड़ दिया है,
इम्तहान का वो दौर, अचानक याद आया।
रहते है हम ख्यालो मे अपने ही मसरूफ़ कभी,
रिवाजो़ से ख़फा होना , अचानक याद आया।
-Binal Dudhat