किताबों के पन्नों को पलट के सोचता हूं,
यूं पलट जाए मेरी जिंदगी... तो क्या बात है....!!!
ख्वाबों में रोज-रोज मिलती है,
हकीकत में मिल जाए... तो क्या बात है....
मतलब के लिए तो सब ढूंढते हैं मुझे,
बिन मतलब के जो पास आए कोई
तो क्या बात है....
कत्ल कर के तो सब ले जाएंगे दिल मेरा,
कोई बातों से ले जाए तो क्या बात है....
जिंदा रहने तक खुशी दुगा सबको,
किसी को मेरी मौत से खुशी मिल जाए
तो क्या बात है...
-प्रद्युम्न