वो नीली कमीज़
एक रोज़ देखा तुम्हें उसी नीली कमीज़ में
जैसे तुम बादलों के पार से आये हो ज़मी में
समेट कर सहेज़ कर रखी थी
मैंने वो कमीज़ तुम्हारी
रात में उसे सिराहना बना कर सोती
आंखों में बसाएं तस्वीर हमारी
लोग कहते है खोया प्यार मिलता नही
क्या कहूं उन नासमझ को मैंने खोए प्रेम से
अपने जख्मों को सिया है
कमीज़ पहने तुम्हारे प्रेम के आभास से
मैंने तुम्हारा हर सपना जीया है
मेरे आंसू, मेरा प्रेम, मेरी ज़िन्दगी का साथ है वो नीली कमीज़
सुनो..जाना तो लौटा देना
अब मेरी है वो नीली कमीज़
©®अनामिका अनूप