मुझको मेरी दुआओं का असर दिख रहा है,
मेरी प्यास से प्यासा तो ये ज़हर दिख रहा है।
क़ाफिले से क़ाफिला मिलना नहीं आसां,
मुझे खुद में खोया हुआ बशर दिख रहा है।
अब रवाना है कोई ऐसे सफर की ओर,
जहाँ से छूटता सारा शहर दिख रहा है।
दिन ढल चुका है कब का, शाम हो चुकी है,
ये कौन है जिसे सारा पहर दिख रहा है ।
मुझे बता कि आँखों को क्या हुआ है मेरी,
कोई रस्ता मंजिलों को अगर दिख रहा है।
🖤🖤🖤
पागल दिवाना