मुराद अगर है इश्क़ में पागल बन जाऊ?
हिफाजत नहीं कर सकते तो पायमल हो जाऊ,
हो सके तो इन्तिजा कर लेना मेरे इश्क़ को जलने वाली रूह से,
दुनिया को बया करके भी लिखावट नहीं पूरी होगी इश्क़ के हर अल्फ़ाज़ में,
ये दूरियां में पाबन्दी या में जो मेने एक एक कतरा जिया तेरे दहलीज में तड़प के,
वो तुम नहीं जान सकते दिल ही दिल में गुट कर साथ निभाने के वक्त के पल पल को।
DEAR ZINDAGI 🙏