बात प्यार की
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ये रुत हसीं ये दिल जवाँ,
कही भी बात प्यार की,
आपने सुनी नहीं मगर,
ये बात मेरे प्यार की।
रही बद-नशीबी बहुत,
जो सुनी नहीं मेरी सदा,
ये बात मेरे प्यार की।
बुझी बुझी सी हर गली,
बुझी है राह प्यार की,
आ भी जा इस तरफ़,
खिले कली बहार की।
कही थी बात प्यार की,
आपने सुनी नहीं मगर,
ये बात मेरे प्यार की।
चुप्पियों के लफ़्ज से,
कही थी बात प्यार की,
तुम्हें मगर फ़ु'र्सतें कहां,
सुनते जो बात प्यार की।
कही थी बात प्यार की,
सुनी नहीं मगर मेरी,
बात मेरे प्यार की।
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-सन्तोष दौनेरिया
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