Hindi Quote in Poem by PARESH MAKWANA

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हा में वो अधूरा शक्श हु
जिसका कोई वजूद नहीं।
दुसरो के लिए जीना
रिश्तो को दिल से निभाना
और फिर भी तन्हा रोना
दूसरों में खुद ही को खोना
हा में वो अधूरा शक्श हु
जिसका कोई वजूद नहीं।
खुद को सम्भालना आता नहीं,
दूसरों को दुख देना में जानता नहीं
सो जज्बातो में बह जाता हूं
रिश्ता पूरी शिदत से निभाता हूं
रिश्ता हर शक्श से बस एक ही रखा,
फिर क्यों उस रिश्ते पर भी एक सवाल रखा?
खुद में राम को मारकर रावण क्यु बन जाता हूं में,
आदर्शों को छोड़ अपनी, सोच की लंका जला देता हु में
नफरत की क्या औकात की पल में रिश्ता तुट जाए
कल आए थे इंसान ओर आज फिर रूठ जाए
कमज़ोर नहीं हूं, पर छोटी सी बात से फर्क पड़ता है
खुद को सच्चा साबित करने में इंसान कितना डरता है
आजकल में वो अधूरा शक्श हु
जिसका खुद का कोई वजूद नहीं

-Paresh Makwana

Hindi Poem by PARESH MAKWANA : 111593262
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