*दूर थे ज़िस्म से, पर दिल से जुदा थोड़ी थे,*
*वो ख़फ़ा हमसे थे, हम उनसे ख़फ़ा थोड़ी थे.*
*किस तरह करते भला ख़्वाहिशें पूरी उनकी,*
*हम भी इन्सान थे, एै दोस्त! ख़ुदा थोड़ी थे.*
*हमपे इल्ज़ाम लगा हमने बुझाये हैं च़राग?*
*हम तो साया थे च़रागों पे, हवा थोड़ी थे.*
*बेसबब हमसे रखीं दूरियां तुमने क्यूं*
*हम तो धड़कन थे मेरे यार! कलेजा थोड़ी थे.*
*हम नहीं वो कि उतर जाते सुबह होते ही,*
*हम इबादत थे, शराबों का नशा थोड़ी थे.*