सुनो...
वो कहेंगें सुधर जाओ,
पर यूँहीं अजीब-से रहना तुम।
वो कहेंगें कि झूठ ही बिकता है आजकल,
पर यूँहीं सच कहते रहना तुम।
वो कहेंगें कि अपनों से दूरी अच्छी है,
पर यूँहीं रिश्ते सहेज के रखना तुम।
वो कहेंगें कि चलो आसमान की सैर को,
पर यूँहीं ज़मीन से जुड़े रहना तुम।
वो कहेंगे कि मेरी सोहबत सही नहीं,
पर यूँहीं अपने दिल की सुनते रहना तुम।
- नूपुर पाठक