जीवन के प्रचंड ताप में
तपकर ही मनुज
स्वर्ण सा निखरता है
पग-पग पर परीक्षा देकर
ही व्यक्तित्व संवरता है
सुख का अधिकार है
उसी व्यक्ति को
दुख की कसौटी पर
जो स्वयं को कसता है
सूर्य -सा जलने का साहस
है जिस ह्रदय में
नभ में हिमकर बन
बस वही उभरता है
जमीन से जुड़कर रहना
सीख लिया जिसने
उन्नति के शिखर पर
वही नर ठहरता है..।