आवश्यक नहीं कि मारने से मृत्यु ही हो
प्रेयसी अपनी भंगिमाओं से मारती है
तो प्रिय अपनी कविताओं से
प्रेम घृणा को मारता है और
क्रोध विवेक को....
सत्य असत्य को नष्ट करता है
तो परिश्रम अकर्मण्यता को
संगीत सूनेपन को मारता है
तो नृत्य अवसाद को
ज्ञान अज्ञान का विनाशक है
तो अंधकार प्रकाश का
धन निर्धनता को मारता है और
सत्कर्म दुर्भाग्य को..
आवश्यक नहीं कि मारना हमेशा
नकारात्मक हो
होता है कभी-कभी सकारात्मक भी..।