जान कर भी सब कुछ न जाने क्यों
अन्जान सी रहती हूँ!
मालूम तो मुझे भी है कि तू मेरा
नसीब नहीं!
पर न जाने क्यो फिर भी तुझे अपनी
मन्नतो मे मांगती हूँ!
न जाने कब तू मिल जाए!
तेरी अादत सी हो गई है मुझे
सब कुछ पा लिया है तुमसे
इशक कर के!
बस जो ना मिल पाया
वो तु ही है
पर फिर भी दिल में "धीरज"
धरे रहती हूँ!
पूजा 📝🖋