तू खूब बरस ...
कुछ बूंदों से
जी भरता नहीं
तू बरस बरस
तू खूब बरस
सूखा ये तन
सूखा कण कण
तर बर कर दे
तू ये तन मन
बेरुख रूखा
ये सारा मंज़र
तू सरस हरस
तू खूब बरस
झनक खनक से
जी भरता नहीं
तू खूब कड़क
तू खूब गरज
छुटपुट बदरी से
जी भरता नहीं
टोली मेघों की ले
तू खूब धमक
खोए सोए
जी लगता नहीं
तू खूब दमक
तू खूब चमक
तू चमक दमक
तू गरज कड़क
तू सरस हरस
तू खूब बरस
:- भुवन पांडे