वो जो बड़े बुजुर्ग कहते हैं,
हमने दूनिया देखी है..
क्या ये वही दूनिया है??, जहाँ..
मैने कई सपनों को टूटते देखा है..
मैने कई अपनो को रुठते देखा है..
मैने लोगों को रंग बदलते देखा है..
जहाँ किस्मत को मैंने पलटते देखा है..
और जहाँ टूट के बिखरने वालो को
फिर से ऊपर उठते देखा है..