Hindi Quote in Poem by Sanjay Narayan

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अपने बचपन में
हूबहू मैं था मेरे जैसा
अफ़सोस अब नहीं रहा वैसा
मेरे वर्तमान को वही पुराने तराने दो
मुझे मुझसा बन जाने दो।

तब रहता था मैं बिंदास,
भले ही अस्त व्यस्त
पर रहता था अलमस्त
पहने कोई भी वस्त्र,
नये पुराने रंगीन सादे
सुंदर असुंदर की परवाह किए बिना
किसी चिंता किसी चाह के बिना
नहीं सोचता था
कि कैसा दिखूँगा इन परिधानों में
कि लोग क्या कहेंगे कानों कानों में
मुझे वैसा ही लापरवाह हो जाने दो
मुझे मेरे जैसा बन जाने दो।

तब मैं किया करता था बातें बेशुमार
बिना मस्तिष्क पर जोर डाले
निष्कपट, निश्छल, निर्विकार
बोल देता था वह सब
जो मन में आता था जैसा जब
सब कुछ, सम्पूर्ण, एकार्थी
सोंचता हूँ बोलने से पहले अब
परखता हूँ निगाहों को
कुछ कहता हूँ कुछ छिपाता हूँ
सच बोलने से घबराता हूँ।
मुझमें मुझे वह हौसला उकसाने दो
निर्भय, मुझे सब कुछ कह जाने दो
मुझे मेरे जैसा बन जाने दो।

तब नई नई उमंगों में
मौजों की तरंगों में
उड़ा करता था मैं
खुद से इतना प्रेम करता था मैं
परियों, चिड़ियों, तितलियों,
रंगों, कलियों, फूलों, झरनों
के सपने देखा करता था मैं
खुद में ही खोया रहता था मैं
बहुत खुश रहता था मैं
कि वास्तविकता में जिया करता था मैं।
मुझे उन्हीं उमंगों में,
उन्हीं सपनों में डूब जाने दो
मुझे खुद के साथ
प्यार की पींगें बढ़ाने दो
मुझे अपनी मस्तियों में चूर रहने दो
जमाने के झंझावातों से दूर रहने दो
दूर रहने दो मुझे सपनों की दुनियाँ से
मुझे वास्तविकता जी लेने दो
मुझे पहले जैसा खुश हो जाने दो
मुझे मेरे जैसा हो जाने दो।।

संजय नारायण

Hindi Poem by Sanjay Narayan : 111462003
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