सब हमले सब जुमले पीछे छूटे।
कोरोना को भूला टिड्डी का हल्ला।।
रोवे अन्नदाता भैंस गई पानी में।
लुट गई खेती चट हुआ गल्ला।।
घर छूटा फसल लूटी आस टूटी।
खाली तिजोरी कहां चाबी छल्ला।।
हर तरफ टिड्डी है टिड्डी का टल्ला।
कैसे बचे अन्न हुआ दाता झल्ला।।
जमीन गहने बैंक में जीना हराम।
फटे कपड़े घिसा जूते का तल्ला।।
पीपा बजा लो थाली खड़कालो।
होगा वही जो चाहेगा अल्लाह।।
उपकार नेकी कर कूएं में डाल।
आप मरे स्वर्ग मिले न बैठ नल्ला।।
मिला न सही दाम अन्नदाता को।
लूटे सिस्टम लटके सूना पल्ला।।
गर्मी सर्दी वर्षा ठण्ड में रोज मर।
नाच नाच दिखाता रह खल्ला।।
लूट ली तरकारी मिट्टी के मोल।
आलू प्याज बिके न करमकल्ला।।
रब रुठा सब छूटा रब बने मल्लाह।।
चिन्ता न कर सब ठीक हो जाएगा।
इंतजार कर करेंगे कुछ राम लल्ला।।
जोर का झटका धीरे धीरे से लगा।
लुट गया सब दांत बचा न कल्ला।।
फिर भी कुछ न बन पड़े युद्ध कर।
सोहल क्रिकेट खेल उठाले बल्ला।
गुरदीप सिंह सोहल
हनुमानगढ़ जंक्शन (राजस्थान )