मसलन होते रहते हैं मसले हमारे...
यूँ तो कईयों से कई...
आपके थोड़ा करीब हो लिए,
तो मसला हो गया...
दरअसल आग तो लगी थी कहीँ हमारे भी अंदर..
दबा के बैठे थे तुम भी बारूद का बवंडर...
चिंगारी और असला करीब हो लिए...
तो मसला हो गया...
कागज ओर कलम पास आए तो
मसला हो गया...
बना के रखे थे दूरी जरा..
तो फ़ासला हो गया...
फ़ैसला जो कर लिया पास आने का...
तो देखो वापिस आके कहीं से वापिस...
देखो फिर से वो ही मसला हो गया।।।
तो क्या इसका अर्थ मैं ये समझूँ??
कि मसलों के भार से दबी रहेंगी साँसे??
या मसलों के अंबार से ही सजी रहेगी ज़िन्दगी!!
मसलन ये भी एक मसला हो गया।।
देखो वापिस से वापिस मसला हो गया।।