#यूहीं
"ये वो बेचैनी है रात की,
जो चैन से आती है, और बेचैन कर के जाती हैं,
ये ठंडी हवाएं, ये तारे ये चांद,
फिर से कहानी पुरानी दोहराएं जाती हैं
कितनी यादें, कितनी बाते, गुजरी कितनी रातें,
फिर भी तुज से मिलने की खाहीश क्यों बढ़ती जाती हैं,
ये वो बेचैनी है रात की ........
-mitesh