मैं नंगे पांव दौडे़ जा रहा हूँ, अपने पांव के छालों को फोडे़ जा रहा हूँ
जो सपने लेकर आया मैंअपने गांव से एक दिन
शहर वीरान की इन तंग गलियों में छोडे़ जा रहा हूँ
मैं नंगे पांव दौडे़ जा रहा हूँ
रखकर हाथ कंधे पर लगाकर अपने सीने से,
मिली थी जो दुआएँ उनसे नाता आज तोड़ने जा रहा हूँ
मैं नंगे पांव दौडे़ जा रहा हूँ
खचाखच भीड़ में डूबी जो राहें जानती ना थी मुझे पहचानती ना थी
बहुत सुनसान है राहें, नही है दूर तक कोई,
ना जाने कौन सा रिश्ता मै इनसे आज जोड़े जा रहा हूँ
मैं नंगे पांव दौडे़ जा रहा🚶👭🚶👭🚶👭🚶👭 हूँ
लिखने की पूरी कोशिश की परन्तु मन शब्दों ने ज्यादा
साथ नही दिया, बस ईश्वर से प्रतिपल यही कामना करती हूँ,, हे करूणानिधान विश्व का कल्याण करो ,, मेरे मजबूर भाई बहन सकुशल घर🏡 पहुँच जायें धन हानि की पूर्ति तो हो जाऐगी हे ईश्वर जन हानि अब बन्द करें हम सब आपकी शरण आये हैं,
त्राहि माम्, ,त्राहि माम् ,,त्राहि माम्
सुषमा मिश्रा ललित